दुःख में सुमिरन सब करे, सुख में करे न कोय ।
जो सुख में सुमिरन करे, तो दुःख काहे को होय ॥
भावार्थ: कबीर दास जी कहते हैं, सभी लोग प्रभु का ध्यान अपने स्वार्थ के लिए केवल दुःखों में करते हैं, ताकि प्रभु भक्ति से मिलने वाली शक्ति से वह अपने दुःखों से लड़ या कम कर सके, यदि वह सभी अपने सुखो में भी प्रभु का ध्यान करते रहेंगे, उनको धन्यवाद करते रहेंगे तो...
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Dukh Me Sumiran Sab Kare – Kabir Ke Dohe
shivmohan August 24, 2022Books
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